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अगले साल होने वाले चुनाव में भाजपा की मुश्किलें बढ़ा सकते हैं ये मुद्दे

 अगले साल होने वाले चुनाव में भाजपा की मुश्किलें बढ़ा सकते हैं ये मुद्दे

– पुरानी पेंशन व्यवस्था को कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश में बड़ा मुद्दा बनाया था। कांग्रेस के लिए यह काम भी कर गया। कांग्रेस सत्ता में आ गई। इसे राजस्थान, छत्तीसगढ़ और पंजाब में लागू किया जा चुका है। ऐसे में भाजपा के विरोधी दल पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने की बात रखेंगे। भाजपा को इसका काट ढूंढना होगा।

– सरकारी कर्मियों के लिए महंगाई भत्ता एक बड़ा मुद्दा है। इसके भुगतान में देरी भी चुनावी मुद्दा बन जाता है। कई राजनीतिक दल इस मुद्दे को उठाते रहे हैं। ऐसे में यह मुद्दा भी भाजपा को परेशान कर सकती है। विपक्षी पार्टियां इस मुद्दे को लेकर भाजपा पर निशाना साधते रहते हैं।

– जातिगत जनगणना को लेकर कुछ राज्यों में जबरदस्त मांग उठ रही है। हालांकि केंद्र सरकार की ओर से इसे बार-बार खारिज किया जा रहा है। ऐसे में विपक्षी दल इसे राज्यों के चुनाव में बड़ा मुद्दा बना सकते हैं। छत्तीसगढ़ में आरक्षण एक बड़ा मुद्दा है जिसकी सीमा बढ़ाकर 76 फ़ीसदी कर दिया गया है। भाजपा को इसका काट भी ढूंढना होगा।

– वर्तमान में देखें तो महंगाई भाजपा सरकार के लिए सबसे बड़ी समस्या है। तेल और गैस की कीमतों में बढ़ोतरी है। इसके अलावा कई जरूरी खाद्य वस्तुओं के दाम भी बढ़े हुए हैं। ऐसे में महंगाई को काबू करना फिलहाल केंद्र सरकार की सबसे बड़ी चुनौती है। वैश्विक परिस्थितियों में यह मुश्किल भी है। लेकिन आम लोगों में विपक्ष इसे बड़ा मुद्दा बना रहा है और उम्मीद कर रहा है कि आने वाले चुनाव में उसे इसका फायदा भी हो सकता है।

– भले ही किसान आंदोलन की वजह से उत्तर प्रदेश चुनाव में भाजपा को नुकसान नहीं हुआ। लेकिन किसानों के मुद्दे अभी भी बड़े हैं। एमएसपी को लेकर सरकार ने आश्वासन जरूर दिया था लेकिन अब तक पूरा नहीं हुआ है। मध्य प्रदेश, कर्नाटक और राजस्थान में यह बड़ा मुद्दा बन सकता है। सरकार को किसानों को लेकर कुछ जरूरी कदम जरूर उठाने होंगे।

– वर्तमान समय में बेरोजगारी एक बड़ी समस्या है। सरकारी नौकरी के लिए युवाओं को संघर्ष करना पड़ रहा है। ऐसे में रोजगार को लेकर युवाओं की नाराजगी केंद्र सरकार से बढ़ते जा रही है। इसको दूर करना सबसे बड़ी जरूरत है।

– हिमाचल में अग्निपथ योजना का असर देखने को मिला। दरअसल, जब अग्निपथ योजना को लाया गया था तो कई जगह इसका विरोध हुआ था। हिमाचल से सेना में जाने वालों की तादाद काफी ज्यादा है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि हिमाचल में भाजपा की हार का एक कारण यह भी था। ऐसे में आगामी चुनाव के लिए भाजपा इसको लेकर भी रणनीति जरूर बनाएगी।

Rakesh Kumar Bhatt

https://www.shauryamail.in

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