प्रदेशभर में व्यापक स्तर पर आयोजित की जाएंगी मॉक ड्रिल : मुख्य सचिव

उत्तराखंड(देहरादून),बुधवार 07 मई 2025
प्रदेश में मॉक ड्रिल की तैयारियों जोरों पर है। पूर्वाभ्यास का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि प्रदेश आपातकालीन परिस्थितियों के लिए पूरी तरह तैयार हो और आम नागरिकों को भी हालातों से निपटने के लिए जागरूक किया जा सके।
मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन ने आज सचिवालय में अधिकारियों के साथ बैठक की। बैठक में नागरिक सुरक्षा से जुड़ी पूर्वाभ्यास गतिविधियों (मॉक ड्रिल) के आयोजन को लेकर विस्तृत चर्चा की गई। मुख्य सचिव ने कहा कि ये मॉक ड्रिल प्रदेशभर में व्यापक स्तर पर आयोजित की जाएंगी। इनका मकसद केवल तैयारी नहीं बल्कि जनसामान्य को प्रशिक्षित करना भी है, ताकि प्राकृतिक आपदाएं (जैसे भूकंप, बाढ़) और मानवजनित आपदाएं (जैसे आग, विस्फोट, युद्ध जैसी स्थितियां) आने पर न्यूनतम नुकसान हो और लोग सही तरीके से प्रतिक्रिया दे सकें। उन्होंने कहा कि पूर्वाभ्यासों को लेकर जनता में पैनिक या घबराहट न फैले, इसके लिए पहले से जानकारी दी जाए और संवाद कायम रखा जाए। मॉक ड्रिल की प्रक्रिया और इसके लाभों को भी आम जनता तक पहुंचाया जाए।
मुख्य सचिव ने स्पष्ट किया कि आपातकालीन स्थिति में सभी विभागों को अपने-अपने कार्यों के लिए पहले से तैयार रहना होगा। इसके लिए प्रत्येक विभागाध्यक्ष को तैयारी करने के निर्देश दिए गए हैं। विद्यालयों और अस्पतालों जैसे संवेदनशील संस्थानों में विशेष जागरूकता अभियान चलाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि बच्चों, शिक्षकों, मेडिकल स्टॉफ और आम नागरिकों को यह बताया जाए कि आपदा के समय क्या करना है और क्या नहीं करना है।
मुख्य सचिव ने यह भी निर्देश दिए कि मॉक ड्रिल के साथ-साथ स्थायी आपदा प्रबंधन योजना भी तैयार की जाए। इसके लिए राज्य स्तरीय और जनपद स्तरीय नागरिक सुरक्षा समितियों को सक्रिय किया जाए। संवेदनशील और अति संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान कर वहाँ विशेष तैयारी की जाए। साथ ही, अलर्ट जारी करने के लिए सायरन सिस्टम को दुरुस्त किया जाए और एसएमएस, वॉट्स ऐप, सोशल मीडिया जैसे माध्यमों से अलर्ट भेजने के लिए एक विश्वसनीय तंत्र विकसित किया जाए।
मुख्य सचिव ने कहा कि संकट के समय यदि सामान्य संचार व्यवस्था विफल हो जाए, तो वैकल्पिक संचार माध्यम जैसे वायरलेस, सैटेलाइट फोन आदि की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। सामुदायिक सहभागिता को बढ़ावा दिया जाए और ‘आपदा मित्र’, एनएसएस, एनसीसी जैसे समूहों को भी सक्रिय रूप से इस व्यवस्था में शामिल किया जाए।
विशेष रूप से बड़े बांधों, ऊंची इमारतों और संवेदनशील संरचनाओं में संभावित खतरों की पहचान कर वहाँ सुरक्षा योजनाएं तैयार रखी जाएं। वाटर हाईड्रेंट्स को सुचारू किया जाए और बड़े भवनों के बेसमेंट को नागरिक सुरक्षा के लिए उपयुक्त बनाया जाए।
बैठक में पुलिस महानिदेशक दीपक सेठ, प्रमुख सचिव आरके सुधांशु, सचिव शैलेश बगोली, नितेश कुमार झा, डॉ. बीवीआरसी पुरूषोत्तम, चंद्रेश कुमार यादव, डॉ. पंकज कुमार पाण्डेय, गढ़वाल कमिश्नर विनय शंकर पाण्डेय, सचिव विनोद कुमार सुमन व सूचना महानिदेशक बंशीधर तिवारी सहित कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कुमांऊ कमिश्नर दीपक रावत और सभी जिलों के जिलाधिकारी भी जुड़े रहे।