उत्तराखंड में कोरोना महामारी के दौरान पुलिस ने अपनी जो छवि पेश की है वह पूरे देश में सराही जा रही है।

उत्तराखंड में कोरोना महामारी के दौरान पुलिस ने अपनी जो छवि पेश की है वह पूरे देश में सराही जा रही है।
देहरादून :– पुलिस एक ऐसा विभाग है जिसका नाम सुनकर एक सिहरन सी तो होती है और साथ ही कोई इस विभाग से वास्ता नहीं रखना चाहता। इसके पीछे कई कारण है जो आए दिन विभिन्न माध्यमों से आम जनता को होते हैं लेकिन यह भी एक सत्य है कि ऐसे कार्य जिन्हें करने से आम आदमी मुंह बोर्ड लेता है उसे खाकी धारी पूरा करते हैं
उत्तराखंड में कोरोना महामारी के दौरान पुलिस ने अपनी जो छवि पेश की है वह पूरे देश में सराही जा रही है। हमने समाज में वह मंजर भी देखा जब अपनों के शव उठाने के लिए अपने ही आगे नहीं आए तो ऐसे वक्त में उत्तराखंड पुलिस के जवानों ने जिनमें एसडीआरएस की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण रही उन्होंने कोरोना संक्रमित शवों का भी अंतिम संस्कार किया। यह कार्य बेहद जटिल है क्योंकि जब अपने ही साथ छोड़ दें तो फिर किसी से मदद की उम्मीद नहीं रह जाती।
उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने संक्रमण की इस काल में अपनी पुलिस को बखूबी प्रयोग किया और विभिन्न मौकों पर उनकी टीम ने अभूतपूर्व मिसाल कायम की। याद करना चाहिए उत्तराखंड पुलिस के मिशन हौसला को जो 1 मई से शुरू किया गया था जिसने उत्तराखंड के ऐसे सुदूरवर्ती क्षेत्रों में आम लोगों तक मदद पहुंचाई।
क्या कोई कल्पना कर सकता है कि शातिर अपराधियों से झुंझुनू वाली पुलिस कंधों पर राशन के बैग रखकर ऐसे लोगों तक पहुंचाएगी जो दाने दाने के लिए तरस रहे हो लेकिन उत्तराखंड पुलिस ने इस महामारी के दौरान मानवता का वह चेहरा भी दिखाया जो एक मिसाल बन गया है।
डीजीपी अशोक कुमार ने बताया कि कोरोना के खिलाफ कार्य करते हुए हमारे जवानों ने हर सम्भव सहायता प्रदान करने का कार्य किया, जिसके तहत पुलिस मदद करने और चाहने वालों के बीच समन्वय स्थापित कर सभी थानों को नोडल पाॅइन्टस बनाते हुए जरूरतमंद लोगों को दवाइयां, ऑक्सीजन, प्लाज्मा/ब्लड डोनेशन, राशन सहित हर जरूरी सेवा उपलब्ध कराई गई।
अब जिस प्रकार काविड के केसों में कमी आयी है, उसी अनुपात में सहायता के लिए आने वाली काॅल में भी कमी आयी है। इसलिए मिशन हौसला को मिशन मोड में समाप्त कर रहे हैं, लेकिन हेल्पलाइन नम्बर पूर्व की भांति चलते रहेंगे और पुलिस द्वारा सहायता भी की जाती रहेगी।
मिशन हौसला के तहत अकेले मई के महीने में पुलिस सहायता हेतु कुल 31815 फोन काॅल प्राप्त हुई, जिन पर कार्यवाही करते हुए कुल 2726 लोगों को ऑक्सीजन सिलेंडर, 792 लोगों को अस्पताल प्रबन्धन से समन्वय कर अस्पताल में बेड, 217 लोगों को प्लाज्मा/ब्लड डोनेशन, 17609 लोगों को दवाईयां, 600 लोगों को एंबुलेंस की सुविधा दिलाने में मदद की गयी।
साथ ही 94484 लोगों को राशन, दूध व कुक्ड फूड, 792 कोरोना संक्रमितों का दाह संस्कार और 5252 सीनियर सिटिजन से सम्पर्क कर उनकी सहायता की गयी।
इस महा अभियान में निलेश आनन्द भरणे, पुलिस उपमहानिरीक्षक, अपराध एवं कानून व्यवस्था/प्रवक्ता उत्तराखण्ड पुलिस ने बताया कि मिशन हौसला को सफल बनाने में मरीजों तक आक्सीजन सिलेंडर पहुंचाना हो या उनको अस्पताल ले जाकर बेड दिलाना, सभी कार्य बखूबी निभाई गए।
इस दौरान हमारे 2382 पुलिसकर्मी एवं उनके 751 परिजन भी कोरोना से संक्रमित हुए, जिसमें से 05 जवानों एवं 64 परिजनों की मृत्यु हुई। इसके बावजूद भी हमारे जवाने अपनी ड्यूटी पर मुस्तैद रहे।