नई सरकार के सामने अगले पांच वर्षों में पांच बड़ी चुनौतियां
नई सरकार के सामने अगले पांच वर्षों में पांच बड़ी चुनौतियां
उत्तराखंड में नई सरकार के सामने अगले पांच वर्षों में पांच बड़ी चुनौतियां हैं। सरकार जन उपयोगी नीतियां बनाकर इन चुनौतियों से निपट सकती है। इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, पलायन व रोजगार, उद्योग और गवर्नेंस प्रमुख मुद्दे हैं। पीएचडी चेंबर ऑफ कॉमर्स इंडस्ट्री और सोशल डेवलपमेंट फॉर कम्युनिटी फाउंडेशन की ओर से आयोजित संवाद कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने इन चुनौतियों से निपटने के टिप्स दिए।
शिक्षाविद और डीआईटी यूनिवर्सिटी के चांसलर एन. रविशंकर ने कहा कि 250 उत्कृष्ट श्रेणी के स्कूल पूरे शिक्षा जगत में आमूलचूल परिवर्तन ला सकते हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में 189 स्कूलों को अटल आदर्श विद्यालय के रूप में विकसित किया जा रहा है। इसके अलावा 13 जवाहर नवोदय विद्यालय और 13 राजीव गांधी नवोदय विद्यालय भी राज्य में हैं।
कुछ जीआईसी और जीजीआई से इनमें शामिल करके 250 स्कूलों में क्वालिटी एजुकेशन की व्यवस्था कर सरकार को एक बड़ा संदेश देना चाहिए। इन स्कूलों से प्रदेश के स्कूलों में भी सुधार आएगा। आईटीआई और पॉलीटेक्निक को सिर्फ सर्टिफिकेट का साधन न बनाया जाए। बल्कि इंडस्ट्री का सहयोग से छात्रों के कौशल विकास को बढ़ावा देना होगा।
कुछ जीआईसी और जीजीआई से इनमें शामिल करके 250 स्कूलों में क्वालिटी एजुकेशन की व्यवस्था कर सरकार को एक बड़ा संदेश देना चाहिए। इन स्कूलों से प्रदेश के स्कूलों में भी सुधार आएगा। आईटीआई और पॉलीटेक्निक को सिर्फ सर्टिफिकेट का साधन न बनाया जाए। बल्कि इंडस्ट्री का सहयोग से छात्रों के कौशल विकास को बढ़ावा देना होगा।
दून विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र विभाग के प्रभारी डॉ. आरपी मममाईं का कहना था कि राज्य के सभी 95 ब्लॉक मुख्यालयों में हर तरह की सुविधा उपलब्ध करवा कर राज्य के हर क्षेत्र का विकास किया जा सकता है। ब्लॉक मुख्यालय पर शिक्षा, स्वास्थ्य, सरकारी आवास, एग्री बिजनेस और आईटी सर्विस जैसी हर सुविधा उपलब्ध करने से कम से कम 500 लोगों को रोजगार मिलेगा। साथ ही स्थानीय उत्पादों की खपत बढ़ेगी। उत्तराखंड के पिछड़ने का सबसे मुख्य कारण पहाड़ केंद्रित नीतियां न बनाया जाना है। स्वास्थ्य, शिक्षा, विकास और रोजगार संबंधी नीतियारं पहाड़ों को ध्यान में रखकर बनाई जानी चाहिए। पर्वतीय क्षेत्रों में 50 प्रतिशत ग्रेजुएट युवाओं के पास रोजगार नहीं है। पर्वतीय क्षेत्रों से पलायन करने वालों में 64 प्रतिशत पूरे परिवार के साथ पलायन करते हैं और जो महिलाएं पहाड़ों में रह कर आर्थिकी की धुरी होती हैं वे शहर में आकर इस चेन से बाहर हो जाती हैं।
पीएचडी चेंबर ऑफ कॉमर्स इंडस्ट्री उत्तराखंड चैप्टर के चेयरमैन हेमंत कोचर का कहना था कि राज्य में परिस्थितियां औद्योगिक विकास के अनुकूल बनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि राज्य में जहां भी औद्योगिक क्षेत्र विकसित किए गए हैं। वहां सुधार की जरूरत है। इन जगहों पर सड़कों, ट्रक पार्किंग, पीने का पानी, खाने की व्यवस्था और टॉयलेट जैसी मूलभूत सुविधा होनी चाहिए। प्रदेश में कोई उद्योग स्थापित होता है तो कुशल स्टाफ नहीं मिलता। पॉलीटेक्निक और आईटीआई से बेहतर है कि युवाओं को किसी इंडस्ट्री में भेजा जाए। जहां वे ज्यादा सीख सकते हैं। टूरिज्म को उन्होंने राज्य की सबसे बड़ी इंडस्ट्री बताया। पर्यटन आधारित ट्रांसपोर्ट व्यवस्था शुरू करने पर फोकस होना चाहिए।
पीएचडी चेंबर ऑफ कॉमर्स इंडस्ट्री उत्तराखंड चैप्टर के चेयरमैन हेमंत कोचर का कहना था कि राज्य में परिस्थितियां औद्योगिक विकास के अनुकूल बनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि राज्य में जहां भी औद्योगिक क्षेत्र विकसित किए गए हैं। वहां सुधार की जरूरत है। इन जगहों पर सड़कों, ट्रक पार्किंग, पीने का पानी, खाने की व्यवस्था और टॉयलेट जैसी मूलभूत सुविधा होनी चाहिए। प्रदेश में कोई उद्योग स्थापित होता है तो कुशल स्टाफ नहीं मिलता। पॉलीटेक्निक और आईटीआई से बेहतर है कि युवाओं को किसी इंडस्ट्री में भेजा जाए। जहां वे ज्यादा सीख सकते हैं। टूरिज्म को उन्होंने राज्य की सबसे बड़ी इंडस्ट्री बताया। पर्यटन आधारित ट्रांसपोर्ट व्यवस्था शुरू करने पर फोकस होना चाहिए।