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Kiren Rijiju: केंद्रीय कानून मंत्री बोले- न्यायाधीशों की नियुक्ति एक प्रशासनिक मामला है, न्यायिक नहीं

 Kiren Rijiju: केंद्रीय कानून मंत्री बोले- न्यायाधीशों की नियुक्ति एक प्रशासनिक मामला है, न्यायिक नहीं

केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि आज कुल लंबित मामलों की संख्या 4.90 करोड़ है। न्याय में देरी का मतलब न्याय से इंकार करना है। मामलों की इस देरी को कम करने का एकमात्र तरीका सरकार और न्यायपालिका का एक साथ आना है। तकनीक इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। न्याय विभाग, कानून व न्याय मंत्रालय की ई-कोर्ट परियोजनाओं के पुरस्कार समारोह में केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि नेशनल ई-गवर्नेंस आवर्ड के गोल्ड कैटेगरी में हमें इस साल जजमेंट और सर्च पोर्टल के लिए पुरस्कार मिला है। हमारे विभाग को प्रतिष्ठित पुरस्कार मिला है इसलिए मैं खुश हूं।

जजों की नियुक्ति प्रशासनिक मामला है, न्यायिक मामला नहीं। सीजेआई ने सुप्रीम कोर्ट की ई-कमेटी का नेतृत्व जारी रखने पर सहमति जताई है। वह सर्वोच्च न्यायालय की सभी समितियों के मुख्य संरक्षक हैं। इससे पहले केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा था कि हालांकि न्यायाधीशों को चुनाव या सार्वजनिक जांच का सामना नहीं करना पड़ता है, फिर भी वे जनता की नजर में होते हैं। उन्होंने कहा, “लोग आपको देख रहे हैं..आप जो जजमेंट देते हैं, आप कैसे काम करते हैं..सोशल मीडिया के इस युग में आप कुछ भी नहीं छिपा सकते।

किरेन रिजिजू ने कहा कि मैंने सीजेआई को एक पत्र लिखा, जिसके बारे में किसी को नहीं पता था। पता नहीं किसे कहां से पता चला और खबर बना दी कि क़ानून मंत्री ने सीजेआई को पत्र लिखा कि कॉलेजियम में सरकार का प्रतिनिधि होना चाहिए। इस बात का कोई सर पैर नहीं। मैं कहां से उस प्रणाली में एक और व्यक्ति डाल दूंगा। भारत में लोकतंत्र सिर्फ जीवित ही नहीं बल्कि मजबूती से आगे चले उसके लिए एक मज़बूत और आज़ाद न्यायपालिका का होना जरूरी है। न्यायपालिका की आज़ादी को कमज़ोर या उसके अधिकार, सम्मान और गरिमा को कम करेंगे तो लोकतंत्र सफल नहीं हो।

Rakesh Kumar Bhatt

https://www.shauryamail.in

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