अधर्म बढ़ने पर परमात्मा को विभिन्न रूपों में धर्म की रक्षा को लेना पड़ता है जन्मः अरूण सतीश  - Shaurya Mail

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अधर्म बढ़ने पर परमात्मा को विभिन्न रूपों में धर्म की रक्षा को लेना पड़ता है जन्मः अरूण सतीश 

 अधर्म बढ़ने पर परमात्मा को विभिन्न रूपों में धर्म की रक्षा को लेना पड़ता है जन्मः अरूण सतीश 

अधर्म बढ़ने पर परमात्मा को विभिन्न रूपों में धर्म की रक्षा को लेना पड़ता है जन्मः अरूण सतीश 

 

देहरादून,  सिद्ध पीठ प्राचीन शिव मंदिर धर्मपुर चौक में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के तृतीय दिवस व्यास अरुण सतीश द्वारा भगवान के 12 अवतार सती चरित्र, रुव चरित्र गजेंद्र मोक्ष, जड़ भक्त चरित्र, अजामीन, उपाख्यान, प्रह्लाद चरित्र, समुद्र मंथन, वामन अवतार, श्रीराम अवतार की कथा सुनाई गई। साथ ही अधर्म के बढ़ने पर परमात्मा को अनेक रूप में पृथ्वी पर धर्म की रक्षा करने हेतु जन्म लेना पड़ता है। बड़े ही सरल स्वभाव से कथा सुनाई। जीवन किस प्रकार जीना चाहिए का ज्ञान कराते हुए कथा को विश्राम दिया।

आज का प्रसाद हुरला कम्युनिकेशन, संदीप जी, गणपति फ्रूट्स सब्जी मंडी द्वारा भागवत जी को अर्पण किया। आज के यजमान राजीव मारवाह, राजेंद्र ठाकुर, रमन गुप्ता, एडवोकेट अरुण शर्मा, मामचंद अग्रवाल, प्रमोद शर्मा, शिवमंगल तिवारी, इंद्र कला, भूपेंद्र सिंह, डॉ मुकेश गुप्ता, डॉ रितु गुप्ता, कनिष्क अस्पताल, महिमा ध्यानी सहित क्षेत्र के सैकड़ों भक्त उपस्थित रहे। जन्माष्टमी पर्व रात्रि 9 से 12 बजे तक मनाया गया। आज के मुख्य अतिथि शोभाराम उनियाल, सिद्धार्थ अग्रवाल रहे।

Rakesh Kumar Bhatt

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