फिक्की फ्लो ने जल के सतत संरक्षण पर सत्र का किया आयोजन - Shaurya Mail

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फिक्की फ्लो ने जल के सतत संरक्षण पर सत्र का किया आयोजन

 फिक्की फ्लो ने जल के सतत संरक्षण पर सत्र का किया आयोजन

फिक्की फ्लो ने जल के सतत संरक्षण पर सत्र का किया आयोजन

 

देहरादून, फिक्की लेडीज ऑर्गनाइजेशन के उत्तराखंड चैप्टर, फ्लो जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख और इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड ने आज वीमेन-वाटर चैलेंजेस एवं ऑप्पोरचुनिटीज टुवर्ड्स सस्टेनेबल कंजर्वेशनश् नामक एक वर्चुअल पैनल चर्चा की मेजबानी की। सत्र के दौरान पैनलिस्टस के रूप में प्रमुख वैज्ञानिक, जल प्रौद्योगिकी केंद्र, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान डॉ. रविंदर कौर, कार्यकारी सचिव-सह-देश समन्वयक, भारत जल भागीदारी डॉ वीना खंडूरी, और ट्रस्टी और वीपी – प्रोग्राम्स – पार्टनरशिप, सेव वाटर नेटवर्क पूनम सेवक मौजूद रहे।

इस अवसर पर बोलते हुए, डॉ वीना खंडूरी ने कहा, ष्प्राथमिक प्रदाताओं, प्रबंधकों और पानी के उपयोगकर्ताओं के रूप में, महिलाओं और युवाओं को जल सुरक्षा परिदृश्य में उत्पादक परिवर्तनों को प्राप्त करने में मदद करने के लिए बहुत ही विशिष्ट स्थान दिया गया है। जलवायु परिवर्तन ने पूरी दुनिया में जल सुरक्षा पर भारी दबाव डाला है। सत्र के बारे में बात करते हुए, फ्लो जम्मू कश्मीर और लद्दाख की अध्यक्ष, रितु सिंह ने कहा, “मेरा यह मानना है कि हमें स्थायी भविष्य की दिशा में काम करना होगा और ऐसा करने के लिए हमें इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन करना चाहिए। पानी की कमी के कारण एक व्यक्ति को कई स्थानीय समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जिन्हें हमारी नदियों और जल निकायों की स्थिति में सुधार करके देखा जाना चाहिए। हमें औद्योगिक कचरे और पीने के पानी की दिशा में भी काम करने की जरूरत है।”

डॉ रविंदर कौर ने जलोपचार प्रौद्योगिकी के माध्यम से दर्शकों को स्थायी अपशिष्ट जल उपचार और पुनरू उपयोग के बारे में बताया। उन्होंने ग्रामीण सेटअप समस्याओं और मौजूदा अपशिष्ट जल प्रौद्योगिकियों के बारे में बात की। उनका पेटेंट तकनीक अब औद्योगिक अपशिष्ट जल प्रबंधन के लिए 400़ शहरों में प्रभावी ढंग से काम कर रहा है।

इस अवसर के दौरान उन्होंने कहा, ष्हमारे हर जगह प्रदूषक मौजूद हैं और इस समय हमको विकेंद्रीकृत ऑन-साइट कॉस्ट-इफेक्टिव सिस्टम की मदद से छोटे उपनगरीय क्षेत्र में, पेरी-शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में आवश्यकता कि मांग को कम करने और सार्वजनिक स्वास्थ्य, पानी की गुणवत्ता और आर्थिक बढ़ावा को पूरा करने की जरूरत है।

सेफ वाटर नेटवर्क्स के बारे में जानकारी देते हुए और महिला सशक्तिकरण की कहानी साझा करते हुए, पूनम सेवक ने कहा, ष्सेफ वाटर नेटवर्क्स पिछले 12 वर्षों से भारत में काम कर रहा है, जहां हमने सामुदायिक स्वामित्व वाले जल शोधन संयंत्र विकसित किए हैं, जो महामारी के दौरान भी 24Û7 पानी देना जारी रखते हैं। हम चाहते थे कि यह पूरी तरह से धारणीय हो क्योंकि पानी की हर दिन जरूरत होती है और हमने इसे प्रौद्योगिकी की शक्ति, स्वचालन और समुदाय में विश्वास की शक्ति के माध्यम से किया है।” उन्होंने उद्धृत किया, ष्अगर एक बच्चे को लाने के लिए एक गाँव की आवश्यकता होती है, तो मैं कहूँगी कि एक वाटर स्टेशन को काम करने के लिए कई लोगों और सहयोग की आवश्यकता होती है। उन्होंने आगे कहा, हमने यह समझने के लिए कई गांवों का दौरा किया कि ऐसा क्या करने की आवश्यकता है कि महिलाओं को ऑपरेटर, उद्यमी, वितरक और सामुदायिक मोबिलाइजर बनाया जाए। महिलाओं को सशक्त बनाने में हमें कई चुनौतियों और बाधाओं का सामना करना पड़ा, लेकिन बहुत प्रयासों के बाद हम 280 महिलाओं के लिए आजीविका बनाने में सक्षम हुए, जिन्हें प्यार से वाटर आंटी कहा जाता था। उत्तराखंड के उद्योग संघ के अध्यक्ष पंकज गुप्ता ने पानी के महत्व के बारे में बताया और भारत की दो महान नदियाँ गंगा और यमुना – प्रकाश डाला जो की उत्तराखंड राज्य से निकलती हैं और हमारे देश की 33ः से अधिक आबादी के जीवन और आजीविका प्रदान करती हैं। अध्यक्ष, फ्लो उत्तराखंड चैप्टर, कोमल बत्रा ने कहा, “इस सत्र को आयोजित करने के पीछे हमारा उद्देश्य औद्योगिक अपशिष्ट जल प्रबंधन की भूमिका और उद्योग, कृषि और ग्रामोद्योग के विभिन्न परिधीय क्षेत्रों में इस पानी के उपयोग के बारे में अपने सदस्यों को अवगत कराना था।

Rakesh Kumar Bhatt

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