हिरासत में हुई मौत के मामले में सीबीआई जांच के आदेश
हिरासत में हुई मौत के मामले में सीबीआई जांच के आदेश
नैनीताल। हाईकोर्ट ने काशीपुर निवासी विचाराधीन कैदी की हल्द्वानी जेल में हिरासत में हुई मौत के मामले में सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं। हाईकोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेते हुए एसएसपी, सीओ व बंदी रक्षकों का तबादला करने का भी आदेश दिया है। न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। मृतक की पत्नी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि उसके पति कुंडेश्वरी काशीपुर निवासी पॉक्सो एक्ट के मामले में हल्द्वानी उप कारागार में थे, जहां हिरासत के दौरान उसकी मौत हो गई।
सीजेएम नैनीताल की कोर्ट ने इस मामले में बंदी रक्षकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के साथ ही जेल अधीक्षक को नोटिस जारी किया था। यह मामला हाईकोर्ट पहुंचा था। कोर्ट के आदेश पर 31 मई को हल्द्वानी के अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट रमेश सिंह ने मृतक की पत्नी से इस बारे में पूछताछ करते हुए बयान दर्ज किए थे। इस आशय की प्रतिलिपि आवश्यक कार्रवाई के लिए संबंधित थानाध्यक्ष को भी प्रेषित की गई। कुंडेश्वरी काशीपुर निवासी विचाराधीन कैदी को उसकी पत्नी की शिकायत पर गाली-गलौज, मारपीट और बेटी के साथ छेड़छाड़ के मामले में चार मार्च को गिरफ्तार कर कुंडेश्वरी पुलिस ने अगले दिन राजकीय चिकित्सालय में मेडिकल कराने के बाद जेल भेज दिया था। दो दिन बाद पुलिस अभिरक्षा में हल्द्वानी उप कारागार में उसकी संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी। उसकी मृत्यु के बाद पत्नी ने जेल प्रशासन सहित पुलिस के अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाते हुए जांच की मांग की। इस मामले में हल्द्वानी उपकारागार के बंदी रक्षकों समेत चार के खिलाफ अभियोग दर्ज है।
हाईकोर्ट ने मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर पाई गईं चोटों के बाद मामले को बेहद गंभीरता से लेते हुए कैदी की मौत की जांच सीबीआई से कराने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने इस मामले की जांच में लापरवाही बरतने पर एसएसपी नैनीताल, तत्कालीन पुलिस क्षेत्राधिकारी हल्द्वानी और जेल के आरोपित बंदी रक्षकों के तबादले का भी आदेश दिया है। याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति रवींद्र मैथाणी की एकलपीठ ने माना कि पुलिस ने पहले तो मुकदमा दर्ज नहीं किया और अब जांच को भटकाने का प्रयास कर रही है। यह बेहद गंभीर मामला है। हाईकोर्ट की एकल पीठ ने आदेश दिया है कि पुलिस तीन दिनों में एफआईआर समेत अन्य दस्तावेज सीबीआई के सुपुर्द करें। पूर्व में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सरकार को यह भी बताने के निर्देश दिए थे कि सुप्रीम कोर्ट के 2015 के सभी जेलों में सीसीटीवी लगाए जाने के निर्देश पर क्या प्रगति हुई है।