भाजपा राष्ट्रिय सह-कोषाध्यक्ष व राज्यसभा सांसद डा. नरेश बंसल ने सदन मे प्रचिन भारत ज्ञान परम्परा व संस्कृत भाषा के संर्वधन एवं सभी को पारंगत करने हेतु उच्च कदम की आवश्यकता का विषय उठाया
उत्तराखंड(देहरादून),सोमवार 08 दिसंबर 2025
डा. नरेश बंसल ने सदन मे शून्यकाल मे यह जनहित व भारतीय गौरव का विषय रखा।डा. नरेश बंसल ने सदन मे कहा कि संस्कृत भारतीय ज्ञान परंपरा की आधारशिला है।संस्कृत के आधार पर ही मानव सभ्यताओ का विकास संभव हुआ है।हम सभी को ज्ञात है कि विश्व की अधिकतर भाषाओ की जड़े किसी न किसी रूप मे संस्कृत से जुड़ी हुई है।
डा. नरेश बंसल ने बताया कि सनातन संस्कृति के इतिहास और वैदिककाल को देखे तो समस्त वेद,पुराण व उपनिषदो की रचना संस्कृत मे ही की गई है जिसमे बह्मण का उच्च कोटी समस्त ज्ञान समाहित है।संस्कृत भाषा अनादि-अनंत है।योग, गणित, व्याकरण, कालगणना, पर्यावरण आदि का ज्ञान संस्कृत में निहित है।
डा. नरेश बंसल ने कहा कि आज संस्कृत मे लिखे गए पुरातन ज्ञान पर नवीन विज्ञान शोध हो रहे है परंतु भारतीय अपने इस दुर्लभ प्राचीन ज्ञान से दूर हो रहे है।जो चीज बचपन से कंठस्थ होनी चाहिए थी वो भी आज हमे विदेश से मिल रही है या उसी ज्ञान का लाभ उठा शोध मिल रहे है।वर्तमान समय मे वैज्ञानिक,सामाजिक,नैतिक और आध्यात्मिक उत्थान मे भारतीय ज्ञान परंपरा व संस्कृत का महत्वपूर्ण योगदान है।इसमे वर्णित जीवन मूल्य एवं सांस्कृतिक विरासत अतंरराष्ट्रीय एकता को सुदृढ करते है।
डा. नरेश बंसल ने इस महत्तवपूर्ण विषय पर सदन का ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा कि वैश्विक स्तर पर संस्कृत भाषा और भारतीय ज्ञान परंपरा पर लगातार चिंतन मंथन हो रहा है।नासा ने भी संस्कृत को एक वैज्ञानिक और कंप्यूटर-अनुकूल भाषा के रूप में मान्यता दी है।यहां तक कि आइंस्टीन, मैक्समूलर, निकोला टेस्ला और जोहान्स केप्लर जैसे विदेशी विचारकों ने भी संस्कृत को एक वैज्ञानिक भाषा के रूप में स्वीकार किया है।संस्कृत सरल और आनंददायक है।इसे अलग-थलग करने के लिए एक आख्यान गढ़ा गया, लेकिन भारत की संस्कृति संस्कृत में संरक्षित है।
डा. नरेश बंसल ने कहा कि आदरणीय प्रधानसेवक नरेंद्र भाई मोदी जी सरकार ने उपनिवेशीक मानसिकता से बाहर निकलने व अपनी पुरातन संस्कृती पर गर्व करते हुए इस दिशा मे महत्वपूर्ण कदम उठाए है।पीएम नरेंद्र नोदी जी के नेतृत्व मे इस पर व्यापक काम हो रहा है।
डा. नरेश बंसल ने सदन के माध्यम से सरकार से मांग करते हुए कहा कि मै सरकार से आग्रह करता हुं कि क्योकि भारत का सनातन पुरातन ज्ञान जो सभी के लिए अत्यंत आवश्यक है व अपने मे हर क्षेत्र मे उच्चस्तरीय है व संस्कृत और भारतीय ज्ञान परंपरा मे है ऐसे मे उस ज्ञान के पाठन हेतु संस्कृत व भारतीय ज्ञान परंपरा मे सभी को पारंगत करने हेतु उच्च कदम की आवश्यकता है,जिसमे भारतीय परंपरागत ज्ञान व संस्कृत भाषा को नवीन,आधुनिक और व्यवहारिक भाषा के रूप मे अभियान के रूप मे ले स्थापित करने की आवश्यकता है।हमें इसे समझना और अपनाना होगा।
डा. नरेश बंसल ने कहा कि इस ज्ञान को वैश्विक मंच पर लाने के लिए, पांडुलिपियों के संग्रह और सरलीकरण की आवश्यकता है।।संस्कृत उपनिवेशवाद से भी पुरानी है और इसे गर्व के साथ पुनर्जीवित किया जाना चाहिए।विश्व गुरु बनने के लिए हमें संस्कृत में निहित ज्ञान को अपनाना होगा। इसे एक कठिन भाषा समझकर इससे दूरी बनाना गलत है—यह एक गलत धारणा फैलाई गई है।